Shiv Aarti : हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं में शिव आरती का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि शिवजी की आरती (Shiv Ji Ki Aarti) को अत्यंत भक्ति और ईमानदारी से पढ़ने से शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उत्थान होता है। दीपक (दीया) जलाने के साथ-साथ छंदों का लयबद्ध जप अंधेरे को दूर करने और दिव्य ज्ञान की रोशनी का प्रतीक है। (Shiv Aarti ) शिव आरती भगवान शिव के साथ गहरे स्तर पर जुड़ने और उनका आशीर्वाद पाने के साधन के रूप में कार्य करती है।
Shiv Ji Ki Aarti (शिवजी की आरती)
॥ शिव आरती ॥
ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
एकानन चतुरानन,पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन,वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
दो भुज चार चतुर्भुज,दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते,त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
अक्षमाला वनमाला,मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर,बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक,भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
कर के मध्य कमंडल,चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी,जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव,जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित,ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति,जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
लक्ष्मी व सावित्री,पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा…॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा ॥
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Om Jai Shiv Omkara: Shiv Aarti
शिव आरती (Shiv Aarti) की शुरुआत “ओम जय शिव ओंकारा” के मंत्रमुग्ध छंद से होती है, जो भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से गाई जाने वाली शिव जी की आरती (Shiv Ji Ki Aarti) है। यह दिव्य आह्वान भगवान शिव की सर्वव्यापकता के सार और ब्रह्मांड के निर्माता, संरक्षक और संहारक के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को खूबसूरती से दर्शाता है। आरती की मधुर प्रस्तुति वातावरण को दिव्यता और भक्ति की भावना से भर देती है।
“Om Jai Shiv Omkara, Swami Jai Shiv Omkara
Brahma, Vishnu, Sadashiva, Ardhanga Dhara
Om Jai Shiv Omkara”
(Shiv Aarti) शिव आरती एक सुंदर और पवित्र प्रार्थना है जो भक्तों को भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा में डूबने की अनुमति देती है। ओम जय शिव ओमकारा के मंत्रमुग्ध छंद और उनके दिव्य रूपों, पोशाक और सहायक उपकरण के चित्रण के माध्यम से, (Shiv Ji Ki Aarti) शिव जी की आरती लाखों लोगों के दिलों को मोहित कर लेती है। यह भक्ति व्यक्त करने और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में कार्य करता है, जो सर्वोच्च देवता हैं जो सृजन, संरक्षण और विघटन के शाश्वत चक्र का प्रतीक हैं।